Einstein Theory of Relativity Hindi | Is time an illusion Hindi | What is time Hindi | - Samaya kya hai
आप कैसे past,present and future को अलग करो कि क्या आप इसे टाइम के आधार पहला करोगी,क्या टाइम हमेशा फॉरवर्ड चलता है ,क्या टाइम सभी डायरेक्शन में गति करता रहता है | टाइम को समझने से पहले कुछ बेसिक theory को जानते हैं | सन 1915 अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपनी general theory ऑफ रिलेटिविटी को पब्लिश किया था |इस थ्योरी ने यूनिवर्स को एक अलग ही नजरिए से पूरी दुनिया को दिखाया तो चलिए इसी तरीके से जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी को समझते हैं और इनके अनुसार acceleration और ग्रेविटी एक ही प्रभाव उत्पन्न करते हैं और दोनों के बीच का अंतर स्पष्ट करना असंभव है | अल्बर्ट आइंस्टाइन ने बताया कि ग्रेविटी फोर्स नहीं बल्कि acceleration का इफेक्ट है जो कि स्पेस टाइम में हुए curve के कारण होता है , उन्होंने स्पेस को एक चादर के रूप में प्रदर्शित किया और बताया कि जो जितना massive होगा वह space-time को ज्यादा कर करेगा और space-time जितना curve होगा उस object की ग्रेविटी उतनी ही ज्यादा होगी और जिस ऑब्जेक्ट ग्रेविटी ज्यादा होगी वहां समय धीमा चलेगा उन्होंने बताया ,प्लानेट सूर्य के चारों ओर gravity के वजह से नहीं बल्कि स्पेस टाइम में आय curve के कारण घूमते हैं और उस टाइम में हुए curve के कारण ही लाइटबेंड होती है जो हम जीपीएस सिस्टम मतलब कि ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का यूज करते हैं वह पॉसिबल नहीं हो पाता है क्योंकि स्पेस में रखी क्लॉक और धरती की क्लॉक में कुछ सेकेंड का अंतर आ जाताहै जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के कारण हमें space-time को समझने में मदद मिली और साथ ही पता चला लाइट इफेक्ट होते हैं तो आपको जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का
बेसिक तो समझ में आ ही गया होगा | ग्राउंड ब्रेकिंग theory के अनुसार यदि आपको चलती हुई गाड़ी को देख रहे हो आपके लिए कार के अंदर बैठा है और कार दोनों की गति से मैं रिलेटिव टू और पोजीशन | इसी बीच में जो व्यक्ति कार में बैठा है उसके लिए व स्टेशनरी ऑब्जेक्ट है क्योंकि उसका motion और कार का motion same है
रिलेटिव टू आउटसाइड वर्ल्ड रिलेटिव टू आउटसाइड वर्ल्ड,लेकिन आइंस्टीन थ्योरी ऑफ रिलेटिव मोशन यूनिवर्स के सभी ऑब्जेक्ट पर लागू होता है | इसके साथ ही आइंस्टाइन ने जाना कि रिलेटिविटी का एक एक्सेप्शन भी है वह है लाइटों की लाइट हमेशा कांस्टेंट गति से टेबल करता है जो प्रिंसिपल को विचार करने के बाद आइंस्टाइन स्पेस और टाइम को एक दूसरे के साथ लिंक किया जिसे हम space-time कहते हैं लेकिन इसमें भी एक पेचीदा उलझा अब है वह यह है कि समय चल रहा है उसका अनुभव कैसे होता है जो समय चल रहा है वह दो अलग ऑब्जर्वर में अलग हो सकता है
डिपेंड करता है वह दोनों एक दूसरे से कितनी तेजीसे दूर जा रहे हैं मान लीजिए दो अलग आब्जर्वर के पार टाइमपास इनकी रेट वैल्यू है लेकिन टाइम वैल्यू एक दूसरे से अलगहै ऐसे केस में कौन सही बोल रहा है और कौन गलत असर में दोनों ही सही बोल रहे हैं क्योंकि हमें पता है कि डिफरेंट करते हैं इसलिए दोनों ही सही बोल रहे हैं पास्ट प्रेजेंट फ्यूचर के बारे में जाने की टाइम के बारे में जानोगे तो पाओगे कि पास प्रजेंट और फ्यूचर एक ही साथ एडजस्ट करते हैं सेंचुरी जो कि हमारे सौरमंडल से
4.2 लाइट ईयर दूरी पर है जो वह तारा एक्सप्लॉयड होगा तो हमें 4.2 साल बाद पता चलेगा जो तारा एक्सप्लॉयड हो गया है कोरबा जॉब को जाने कीआवश्यकता है यदि आप फास्ट move कर रहे हो तो आपके लिए टाइम शुरू होगा क्योंकि लाइट की स्पीड कांस्टेंट होती है इसका मतलब यह है कि स्टार का एक्सप्लोजन हमारा फास्ट है मूविंग स्पॉटलाइट थ्योरी के अनुसार ओन्ली अप्सलूट ही मौजूद होता है जो कि मोमेंट मोमेंट चेंज होता है ,जैसे कि स्पॉटलाइट इंफॉर्मेशन से हमें यह पताचलता है कि कैसे टाइम एक illusion है क्योंकि यहां पर कोई सिंगल past कोई सिंगल प्रजेंट और कोई सिंगल फ्यूचर नहीं है illusion ऑफ टाइम हमारे ब्रेन की मेमोरीज द्वारा बनाया जाता है जो हमारे लाइफ को एक सही सीक्वेंस में रखता है मतलब कि जो अपनी प्रजेंट में कर रहे हो उसके आधार पर यूजर में क्या होने वाला है उसका प्रेडिक्शन करते हो |
धन्यवाद !
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